आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बाज़गश्त"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "बाज़गश्त"
ग़ज़ल
अम्मार इक़बाल
ग़ज़ल
सुन रहा हूँ अभी तक मैं अपनी ही आवाज़ की बाज़गश्त
या'नी इस दश्त में ज़ोर से बोलना भी अकारत गया
अब्बास ताबिश
ग़ज़ल
होगी जब नालों की अपने ज़ेर गर्दूं बाज़-गश्त
मेरे दर्द-ए-दिल की शोहरत जा-ब-जा हो जाएगी
हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा
ग़ज़ल
सदा-ए-बाज़गश्त आती है अय्याम-ए-गुज़िश्ता की
ये दिल वीरान हो जाने पे भी वीराँ नहीं होता