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ग़ज़ल
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
बस वो उन्ही से फ़ितरत को ख़ालों के लिबास पहनाता है
शाइ'र के पल्ले क्या है गीतों के ताने-बाने हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
बहुत ज़रूरी था ख़ुद से मिलना मगर ग़ज़ंफ़र
ये कार-ए-दुनिया के ताने-बाने में रह गया है
ग़ज़नफ़र हाशमी
ग़ज़ल
मुँह से बात निकलते ही सौ गढ़ लेंगे अफ़्साने लोग
बैठे-बैठे बुन लेते हैं कैसे ताने-बाने लोग
रईस रामपुरी
ग़ज़ल
जिस्म की तिश्ना-सामानी से जिस्म ही ना-आसूदा नहीं
टूट गए इस ज़द पर आ कर रूह के ताने-बाने भी
उम्मीद फ़ाज़ली
ग़ज़ल
ये जो मिरी लय और लफ़्ज़ों के रंगीं ताने-बाने हैं
सुनने वालों ग़ौर न करना सारे राग पुराने हैं
जमीलुद्दीन आली
ग़ज़ल
हम जो मगन हैं ध्यान में अपने उस को भी धोका जानो
किस से सुलझी साँस के ताने-बाने की उलझन बाबा
इलियास इश्क़ी
ग़ज़ल
क्या जाने हम क्या कह बैठे वो कह न सके जो कहना था
हम प्यार के ताने-बाने को सुलझा भी गए उलझा भी गए
जयकृष्ण चौधरी हबीब
ग़ज़ल
बैठ ज़रा आराम से दिल की डोर मुझे सुलझाने दे
उलझी उलझी धड़कन के कमज़ोर से ताने बाने हैं
सीमा नक़वी
ग़ज़ल
पल दो पल में ढह जाते हैं ताज-महल अरमानों के
लेकिन बरसों लग जाते हैं बिगड़ी बात बनाने में
अरमान अकबराबादी
ग़ज़ल
मैं अपने जिस्म की दीवार में चुनूँ ख़ुद को
फिर अपने-आप से बातें करूँ सुनूँ ख़ुद को
मिर्ज़ा अतहर ज़िया
ग़ज़ल
ज़िंदगी मर्ग-ए-तलब तर्क-ए-तलब 'अख़्तर' न थी
फिर भी अपने ताने-बाने में मुझे उलझा गई