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ग़ज़ल
मुबारक हो उसे जिस के लिए संसार है सब कुछ
हमारे वास्ते तो बस हमारा यार है सब कुछ
मोहम्मद ग़ुलाम नूरानी
ग़ज़ल
हम अपने दोस्तों पर नाज़ कुछ यूँही नहीं करते
कि ज़िक्र-ए-ख़ैर हो या बद हमारा चलता रहता है
बिस्मिल आरिफ़ी
ग़ज़ल
न मिले कभी न जुदा हुए यूँ ही जी लिए यूँ ही मर गए
ये कहीं जहाँ में हुआ नहीं ये तो बस हमारा कमाल है
सलाहुद्दीन अय्यूब
ग़ज़ल
खुली न ज़ुल्फ़ पे कुछ भी मिरी परेशानी
बना हज़ार ज़बाँ अर्ज़मू-ब-मूमू-ब-मू के लिए