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ग़ज़ल
ये दुनिया गोया है एक बिल्डिंग पे काम जारी
है उस में शामिल जो गारा दुख है हमारा दुख है
आजिज़ कमाल राना
ग़ज़ल
सामने वाली बिल्डिंग में अब काम है बस आराइश का
कल तक जो मिलती थी हमें वो मज़दूरी भी ख़त्म हुई
ताहिर फ़राज़
ग़ज़ल
ये फ़न्न-ए-इश्क़ है आवे उसे तीनत में जिस की हो
तू ज़ाहिद-ए-पीर-ए-ना-बालिग़ है बे तह तुझ को क्या आवे
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
सुनता है कामनटरी हीरो रेडियो रख कर कानों पर
बॉलिंग बैटिंग चौव्वा छक्का ये मालूम न वो मालूम