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ग़ज़ल
हो गया तेरी हवा-ख़्वाही में 'हसरत' तू ब-बाद
बैठा क्या है ख़ाक में हम को मिला कर हम से मिल
हसरत अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
नाला-ए-दिल ने दिए औराक़-ए-लख़्त-ए-दिल ब-बाद
याद-गार-ए-नाला इक दीवान-ए-बे-शीराज़ा था
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ब-रंग-ए-बाद-ए-सबा गुल खिलाए हैं क्या क्या
मिरे ही दिल ने सितम मुझ पे ढाए हैं क्या क्या
मुनव्वर लखनवी
ग़ज़ल
मेरी तस्वीर मिरे ख़त मुझे वापस दे दो
यही रुलवाएँगे तुम को ब-ख़ुदा मेरे बाद
मुख़्तार आशिक़ी जौनपुरी
ग़ज़ल
जान देने के लिए अपनी ब-नाम-ए-उर्दू
कौन पहुँचेगा सर-ए-दार-ओ-रसन तेरे बाद
चंद्र प्रकाश जौहर बिजनौरी
ग़ज़ल
जो रग-ए-अब्र-ओ-बाद से ता-ब-रग-ए-जुनूँ रहें
इश्क़ की वो हिकायतें हुस्न के वो गिले गए