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ग़ज़ल
सारे रिश्ते जेठ-दुपहरी गर्म हवा आतिश अंगारे
झरना दरिया झील समुंदर भीनी सी पुर्वाई अम्माँ
आलोक श्रीवास्तव
ग़ज़ल
अब्दुल हमीद अदम
ग़ज़ल
मीठी मीठी एक कसक है भीनी भीनी एक महक
दिल में छाले फूट रहे हैं फूल से खिलते जाते हैं
सज्जाद बाक़र रिज़वी
ग़ज़ल
मेरी साँसों से यूँ आए भीनी भीनी आग की ख़ुशबू
जोगी की धूनी से जैसे उड़ती है बैराग की ख़ुशबू
मधूरिमा सिंह
ग़ज़ल
दस्त-ए-सबा ने फिर से मेरे दामन में महका दी हैं
चटकी कलियाँ भीनी ख़ुशबू तेरी बातें तन्हाई
फ़र्रुख़ ज़ोहरा गिलानी
ग़ज़ल
गुल की ख़ुशबू हो कि रैहान की भीनी ख़ुशबू
उन की ख़ुशबू से मोअ'त्तर है चमन की ख़ुशबू
प्रोफ़ेसर महमूद आलम
ग़ज़ल
तिरे नफ़स की हरारत हुई नज़र-अंदाज़
तिरे लिबास की भीनी महक से लुत्फ़ लिया