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ग़ज़ल
मुझ को अग़वा कर लिया है मेरे ख़्वाबों ने 'नबील'
और मिरी आँखें उन्हें मतलूब हैं तावान में
अज़ीज़ नबील
ग़ज़ल
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
ये सच है किसी का हूँ मैं मतलूब न तालिब
हैराँ हूँ कि किस वास्ते दुनिया में जिया हूँ
प्रेमी रूमानी
ग़ज़ल
शाद अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
कुछ भी निकाल सकते हैं मतलब वो बात का
करता हूँ इस लिए मैं बहुत बच-बचा के बात