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ग़ज़ल
वो रूठे हैं तो गो मुश्किल नहीं उन का मना लेना
मगर कब तक मनाऊँ रूठ जाते हैं वो मन मन के
रंजूर अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
बुरा मत मान इतना हौसला अच्छा नहीं लगता
ये उठते बैठते ज़िक्र-ए-वफ़ा अच्छा नहीं लगता
आशुफ़्ता चंगेज़ी
ग़ज़ल
जब सें तुझ इश्क़ की गरमी का असर है मन में
तब सें फिरता हूँ उदासी हो बिरह के बन में
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
मन में जोत जगाने वाले त्याग गए ये डेरा जोगी
उत्तर दक्खिन पूरब पच्छिम चारों ओर अंधेरा जोगी