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ग़ज़ल
ये ज़ुल्मतों के परस्तार क्या ख़बर होते
मिरी नवा में ब-जुज़ मुज़्दा-ए-सहर क्या था
आल-ए-अहमद सुरूर
ग़ज़ल
मुज़्दा-ए-फ़स्ल-ए-बहाराँ न सुना गुलचीं ने
ख़ाक उड़ाती फिरी गुलशन में सबा मेरे बाद
अब्दुल मजीद दर्द भोपाली
ग़ज़ल
ख़िज़ाँ-रसीदा ये ग़ुंचे ये ख़ार-ओ-ख़स या सुमूम
चमन को मुज़्दा-ए-फ़स्ल-ए-बहार भी देंगे
मैकश बदायुनी
ग़ज़ल
अलविदा'अ ऐ ज़ो'म-ए-हस्ती अल-फ़िराक़ ऐ वहम-ए-ज़ीस्त
मौत बन कर मुज़्दा-ए-उम्र-ए-दवाम आ ही गया