आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "मुर्ग़-ए-रिश्ता"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "मुर्ग़-ए-रिश्ता"
ग़ज़ल
और होंगे वो कोई दाम में आने वाले
मुर्ग़-ए-दाना हो गिरफ़्तार बड़ी मुश्किल है
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
मुर्ग़-ए-सहर अदू न मोअज़्ज़िन की कुछ ख़ता
'परवीं' शब-ए-विसाल में सब है फ़ुतूर-ए-सुब्ह
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
क़ैदी-ए-ज़ुल्फ़ की क़िस्मत में है रुख़्सार की सैर
शुक्र है बाग़ भी है मुर्ग़-ए-गिरफ़्तार के पास
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
काश बे-रब्त ख़यालों को भी दे पाऊँ ज़बाँ
रिश्ता-ए-लफ़्ज़ कहीं टूट गया है मुझ से
सय्यदा शान-ए-मेराज
ग़ज़ल
हुजूम-ए-रेज़िश-ए-ख़ूँ के सबब रंग उड़ नहीं सकता
हिना-ए-पंजा-ए-सैय्याद मुर्ग़-ए-रिश्ता बर-पा है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
गाते हैं मेरी ग़ज़ल मुर्ग़-ए-ख़ुश-इलहान-ए-चमन
उन को आता है मज़ा है ये ज़बान-ए-बुलबुल
शाह अकबर दानापुरी
ग़ज़ल
बद-गुमाँ होता है वो काफ़िर न होता काश के
इस क़दर ज़ौक़-ए-नवा-ए-मुर्ग़-ए-बुस्तानी मुझे
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
तमाम इल्लत-ए-दरमाँदगी है क़िल्लत-ए-शौक़
तपिश हुई पर-ए-पर्वाज़-ए-मुर्ग़-ए-जाँ के लिए