आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "मुश्तरी"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "मुश्तरी"
ग़ज़ल
कारवाँ थक कर फ़ज़ा के पेच-ओ-ख़म में रह गया
मेहर ओ माह ओ मुश्तरी को हम-इनाँ समझा था मैं
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ब-फ़ैज़-ए-आदम-ए-ख़ाकी ज़मीं सोना उगलती है
उसी ज़र्रे ने दौर-ए-मेहर-ओ-माह-ओ-मुशतरी बदला
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
बद्र-ए-आलम ख़लिश
ग़ज़ल
कभी बे-क़रार हो कर जो मैं साज़-ए-इश्क़ छेड़ूँ
तो ये मुशतरी-ओ-ज़ोहरा कोई गीत फिर न गाएँ
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
जो पहुँचे ता-फ़लक शोहरा तुम्हारी ख़ुद-फ़रोशी का
ख़रीदारी को आए मुश्तरी बाज़ार-ए-अंजुम से