आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "मुश्ताक़-ए-जल्वा-ए-दीदार"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "मुश्ताक़-ए-जल्वा-ए-दीदार"
ग़ज़ल
मैं अक्स-गर-ए-जल्वा-ए-जानाना बना हूँ
ख़ुश हूँ कि मोहब्बत का जिलौ-ख़ाना बना हूँ
सय्यद नवाब हैदर नक़वी राही
ग़ज़ल
ग़ुरूर-ए-जल्वा-ए-इरफ़ाँ है देखिए क्या हो
बड़े अँधेरे में इंसाँ है देखिए क्या हो
ग़ौस मोहम्मद ग़ौसी
ग़ज़ल
दौलत-ए-दीदार हस्ब-ए-मुद्दआ हासिल हुई
मिल गई जिस शख़्स को तक़दीर से इक्सीर-ए-इश्क़
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
साइब आसमी
ग़ज़ल
न घटा उठी न हवा चली न ख़लिश मिटी न कली खिली
ये फ़रेब-ए-जल्वा-ए-ज़ौक़ है ये तिलिस्म-ए-शौक़-ए-बहार है
वफ़ा बराही
ग़ज़ल
न ख़ुशबू पैरहन की है न ज़ुल्फ़ों की न बातों की
हमें ये जल्वा-ए-बाला-ए-बाम अच्छा नहीं लगता