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ग़ज़ल
मुसल्लस का ख़त-ए-सालिस मुझे मिल कर नहीं देता
कभी क़िस्मत से वो रुक जाए तो बारिश नहीं रहती
साइमा इसमा
ग़ज़ल
आमिर अमीर
ग़ज़ल
हर धड़कन हैजानी थी हर ख़ामोशी तूफ़ानी थी
फिर भी मोहब्बत सिर्फ़ मुसलसल मिलने की आसानी थी
जौन एलिया
ग़ज़ल
हर इक मुफ़्लिस के माथे पर अलम की दास्तानें हैं
कोई चेहरा भी पढ़ता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं