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ग़ज़ल
चिड़ियों की चहकार में गूँजे राधा मोहन अली अली
मुर्ग़े की आवाज़ से बजती घर की कुंडी जैसी माँ
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
चलती गाड़ी नाम का रिश्ता क्या मोहन क्या राधा आज
बन के सँवर के रास रचा के मोहन आज मनाए कौन
किश्वर नाहीद
ग़ज़ल
ज़िदों को अपनी तराशो और उन को ख़्वाब करो
फिर उस के बा'द ही मंज़िल का इंतिख़ाब करो