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ग़ज़ल
कभी दिन भर तिरी बातें कभी यादों भरी रातें
तिरी फ़ुर्क़त में जीने के बहाने हैं हज़ार अब भी
अख़लाक़ बन्दवी
ग़ज़ल
ग़म दुनिया के याद जब आएँ उस की याद भी आने दो
इक नश्शे में और इक नश्शा ऐ यारो मिल जाने दो
फ़े सीन एजाज़
ग़ज़ल
इश्क़ उस से किया है तो ये गर याद भी रक्खो
अपने लिए हर दिन नई उफ़्ताद भी रक्खो
फ़िरोज़ नातिक़ ख़ुसरो
ग़ज़ल
ये न पूछो किस तरह कब किस लिए किस वास्ते
बस ये काफ़ी है वहाँ होती है मेरी याद भी
फ़हीमुद्दीन अहमद फ़हीम
ग़ज़ल
अनवर अली ख़ान सोज़
ग़ज़ल
दिल के मिटने का मुझे कुछ और ऐसा ग़म नहीं
हाँ मगर इतना कि है इस में तुम्हारी याद भी
असग़र गोंडवी
ग़ज़ल
कुछ दिल-नशीं यादें भी हैं कुछ दर्द का रिश्ता भी है
मैं किस तरह भूलों उसे वो उम्र का हिस्सा भी है
नईम समीर
ग़ज़ल
कुछ हसीं यादें भी हैं दीदा-ए-नम के साथ साथ
ज़िंदगी में हुस्न भी गोया है ग़म के साथ साथ