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ग़ज़ल
बीवी बेटी बहन पड़ोसन थोड़ी थोड़ी सी सब में
दिन भर इक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी माँ
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
तनी रस्सी पे दरिया पार उतरना ही मुक़द्दर हो
तो फिर सीनों में गर्क़ाबी का डर रक्खा नहीं करते