आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "राँझा"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "राँझा"
ग़ज़ल
आबिद उमर
ग़ज़ल
मुश्ताक़ हूँ तुझ लब की फ़साहत का व-लेकिन
'राँझा' के नसीबों में कहाँ हीर की आवाज़
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
तुझ को राँझा से कभी भी कोई निस्बत न रही
हर फ़साने में मिरा ज़िक्र चला हीर के साथ
जहाँ आरा तबस्सुम
ग़ज़ल
'राँझा' मैं अहद-ए-नौ का क़बीलों में बट गया
तो 'हीर' बन के पी न सकी ज़हर झंग में
मुसव्विर सब्ज़वारी
ग़ज़ल
मैं तो फ़रहाद नहीं क़ैस भी राँझा भी नहीं
क्यूँ मिरी सम्त हर इक सम्त से पत्थर आए