आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "राई"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "राई"
ग़ज़ल
मिरे दामन को वुसअ'त दी है तू ने दश्त-ओ-दरिया की
मैं ख़ुश हूँ देने वाले तू मुझे कतरा के राई दे
नक़्श लायलपुरी
ग़ज़ल
हमदम तो यही कहते हैं चल बज़्म में उस की
क्या कहिए उसे अपनी जो ख़ुद-राई है कम-बख़्त
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
नूह नारवी
ग़ज़ल
कुछ लोग तो मंज़िल की ख़बर भी ले आए
हम मस्त रहे लज़्ज़त-ए-ख़ुद-राई में