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ग़ज़ल
हम राह-रव-ए-मंज़िल दुश्वार रहे हैं
हर तरह मुसीबत में गिरफ़्तार रहे हैं
शान-ए-हैदर बेबाक अमरोहवी
ग़ज़ल
मैं राह-रव-ए-राह-ए-तमन्ना हूँ सितम-गर
हर ज़ख़्म पे बढ़ जाता है कुछ मेरा निशाँ और
जमील अरशद खाँ अरशद
ग़ज़ल
रह-रव-ए-राह-ए-मोहब्बत कौन सी मंज़िल में है
दिल है बे-ज़ार-ए-मोहब्बत और मोहब्बत दिल में है
बिस्मिल सईदी
ग़ज़ल
वामांदा-ए-मंज़िल है जो ऐ राह-रव-ए-शौक़
शायद है तिरा ज़ौक़-ए-तलब ख़ाम अभी तक
मुहम्मद अय्यूब ज़ौक़ी
ग़ज़ल
इब्तिला में हैं सभी राह-रव-ए-मंज़िल-ए-शौक़
किस को फ़ुर्सत कि मिरे पाँव का काँटा देखे
अर्श सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
ऐ राह-रव-ए-राह-ए-जुनूँ भूल न जाना
इस राह में जी जान से हारे भी मिले हैं
अख़गर मुशताक़ रहीमाबादी
ग़ज़ल
रह-रव-ए-राह-ए-ज़िंदगी वक़्त से तेज़ चाल चल
राहबरों को राह में फ़ुर्सत-ए-रहज़नी न दे
ज़किया सुल्ताना नय्यर
ग़ज़ल
असलम महमूद
ग़ज़ल
अज़ल से गर्म-रव-ए-राह-ए-जुस्तुजू हूँ मैं
हनूज़ मंज़िल-ए-मक़्सूद का पता न मिला