aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "रेशा-दवानी"
तार-ए-गेसू से नज़र जा उलझीदेखना रेशा-दवानी मेरी
लाया हज़ार ख़ुशियाँ मुझे सौंपने मगरफिर क्यूँ ये रंज रेशा-दवानी में दे गया
लाया हज़ार ख़ुशियाँ मुझे सौंपने मगरफिर क्यों ये रंज रेशा-दवानी में दे गया
इश्क़ तो चारागरी माँगता है इस लिए ज़ख़्मरूह की रेशा-दवानी से निकल आया था
या तो ख़ामोश हुए या तो बरहना-शमशीरख़ुद को टुक रेशा-दवानी में नहीं रहने दिया
रक़्स में हैं वहशतें क़र्या-ब-क़र्या कू-ब-कूये जुनून-ए-इश्क़ की रेशा-दवानी और बस
क्यों उभरता ही नहीं जज़्बा-ए-इख़लास-ओ-वफ़ाक्यों निकलती ही नहीं रेशा-दवानी सर से
दार-ओ-रसन की रेशा-दवानी गर्दन-ओ-सर तक रहती हैअहल-ए-जुनूँ का पाँव रहा है गर्दन-ओ-सर से आगे भी
वो तप-ए-इश्क़-ए-तमन्ना है कि फिर सूरत-ए-शम्अ'शो'ला ता-नब्ज़-ए-जिगर रेशा-दवानी माँगे
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