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ग़ज़ल
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
ये जो ज़िंदगी की किताब है ये किताब भी क्या किताब है
कहीं इक हसीन सा ख़्वाब है कहीं जान-लेवा अज़ाब है
राजेश रेड्डी
ग़ज़ल
ख़ुदा के नाम-लेवा हम भी हैं तुम भी हो और वो भी
मगर अफ़सोस सब अपनी ख़ुदी को जीते रहते हैं
आलोक श्रीवास्तव
ग़ज़ल
अगर ये ज़ख़्म भरना है तो फिर भर क्यूँ नहीं जाता
अगर ये जान-लेवा है तो मैं मर क्यूँ नहीं जाता
प्रबुद्ध सौरभ
ग़ज़ल
रुख़-ए-रौशन पे ज़ुल्फ़ों का ये गिरना जान-लेवा है
और उस पर ये सितम दिलबर हटाना भूल जाता है