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ग़ज़ल
उजली लड़की दुनिया में बड़ी कालक है पर ऐसा हो
माँग में तेरी जुगनू चमकें लौंग तिरी लशकारा दे
इरफ़ान सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
लौंग खिलाएँ हम जो कभी तो उस को डालो मुँह से थूक
और ये क्यूँ जी रोज़ मुफ़र्रेह छींके खानी औरों से
मारूफ़ देहलवी
ग़ज़ल
कभी लौट आएँ तो पूछना नहीं देखना उन्हें ग़ौर से
जिन्हें रास्ते में ख़बर हुई कि ये रास्ता कोई और है