आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "वक़्त-ए-सरोद"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "वक़्त-ए-सरोद"
ग़ज़ल
नरेश एम. ए
ग़ज़ल
नाज़ुक कमर वो ऐसे हैं वक़्त-ए-ख़िराम-ए-नाज़
ज़ुल्फ़ें जो खोलते हैं तो बल खाए जाते हैं
कल्ब-ए-हुसैन नादिर
ग़ज़ल
कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो
ऐ लोगो ख़ामोश रहो हाँ ऐ लोगो ख़ामोश रहो
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
बेदारियों में आईं नज़र ये तो है मुहाल
मख़्फ़ी हैं वक़्त-ए-ख़्वाब ब-दस्तूर पिंडलियाँ
कल्ब-ए-हुसैन नादिर
ग़ज़ल
चलते हैं कू-ए-यार में है वक़्त-ए-इम्तिहाँ
हिम्मत न हारना दिल-ए-बीमार देखना
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
निज़ाम-ए-वक़्त का अब ख़ूँ निचोड़ना होगा
कि संग-ए-सख़्त अदाओं की अंजुमन में है
औलाद-ए-रसूल क़ुद्सी
ग़ज़ल
क्या पिघलता जो रग-ओ-पै में था यख़-बस्ता लहू
वक़्त के जाम में था शोला-ए-तर ही कितना
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
काट दी वक़्त ने ज़ंजीर-ए-तअल्लुक़ की कड़ी
अब मुसाफ़िर को कोई रोकने वाला भी नहीं