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ग़ज़ल
देती है वहशत-ए-दिल फ़स्ल-ए-बहाराँ की ख़बर
अब कहाँ वहशियों को जैब-ओ-गरेबाँ की ख़बर
यगाना चंगेज़ी
ग़ज़ल
देती है वहशत-ए-दिल फिर मुझे ता'बीर-ए-बहार
जल्वा-गर ख़्वाब में रहने लगी तस्वीर-ए-बहार
यगाना चंगेज़ी
ग़ज़ल
वहशत-ए-दिल के इशारों पे चले हैं बरसों
यूँ भी हम अक़्ल की आँखों में खले हैं बरसों
मोहसिन उम्मीदी बुरहानपुरी
ग़ज़ल
वहशत-ए-दिल ने कहीं का भी न रक्खा मुझ को
देखना है अभी क्या कहती है दुनिया मुझ को
पंडित जगमोहन नाथ रैना शौक़
ग़ज़ल
ग़म न कर ऐ वहशत-ए-दिल तिलमिलाना छोड़ दे
मुस्कुरा के अश्क पी आँसू बहाना छोड़ दे