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ग़ज़ल
शिकस्ता-पर जुनूँ को आज़माएँगे नहीं क्या
उड़ानों के लिए पर फड़फड़ाएँगे नहीं क्या
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़ज़ल
इरादों की शिकस्तों पर सना-ख़्वानी से पहचाना
ख़ुदाया मैं ने तुझ को कितनी आसानी से पहचाना
कलीम हैदर शरर
ग़ज़ल
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
शुग़्ल-ए-शिकस्त-ए-जाम-ओ-तौबा पहरों जारी रहता है
हम ऐसे ठुकराए हुओं को मय-ख़ाने में काम बहुत
उनवान चिश्ती
ग़ज़ल
तिरे नक़्श-ए-पा हों जिस में वो डगर कहाँ से लाऊँ
हो हमेशा साथ तेरा वो सफ़र कहाँ से लाऊँ
जोहर राना
ग़ज़ल
शिकस्त-ए-शीशा-ए-दिल की सदा पहरों सुनाई दे
अगर इक बार उठ जाए निगाह-ए-मेहरबाँ उस की