आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "शिकस्तों"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "शिकस्तों"
ग़ज़ल
लय जो टूटी तो सदा आई शिकस्त-ए-दिल की
रग-ए-जाँ का कोई रिश्ता है रग-ए-साज़ के साथ
अहमद नदीम क़ासमी
ग़ज़ल
निकलें तो शिकस्तों के अँधेरे उबल आएँ
रहने दो जो किरनें मिरी आँखों में गड़ी हैं
आफ़ताब इक़बाल शमीम
ग़ज़ल
आज भी हर्फ़-ए-तसल्ली है शिकस्त-ए-दिल पे तंज़
कितने जुमले हैं जो हर मौक़ा पे दोहराए गए