आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "सजाना"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "सजाना"
ग़ज़ल
ज़ख़्म को अपने फूल समझना मोती कहना अश्कों को
इश्क़ का कारोबार सजाना हम को अच्छा लगता था
कृष्ण अदीब
ग़ज़ल
सलीक़े से सजाना आइनों को वर्ना ऐ 'रज़्मी'
ग़लत रुख़ हो तो फिर चेहरों का अंदाज़ा नहीं होता
मुज़फ़्फ़र रज़्मी
ग़ज़ल
अनीस अब्र
ग़ज़ल
क्यूँ सजाना चाहते हो अपनी पलकों पर मुझे
राएगाँ सा ख़्वाब हूँ आँखों ने टाला है मुझे