आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "सताना"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "सताना"
ग़ज़ल
यही है आज़माना तो सताना किस को कहते हैं
अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तिहाँ क्यूँ हो
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
याँ तक सताना मुज को कि रो रो कहे तू हाए
यारो न तुम सुना कि फ़ुलाने ने क्या किया
मोहम्मद रफ़ी सौदा
ग़ज़ल
अक़्सा फ़ैज़
ग़ज़ल
सताना ही अगर मंज़ूर है कह दो सताते हैं
मिरी तक़दीर के पर्दे में मेरा इम्तिहाँ क्यूँ हो
तालिब बाग़पती
ग़ज़ल
आना हो तो आ जाओ बहाना नहीं अच्छा
हर रोज़ का मुझ को ये सताना नहीं अच्छा