आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "सर-ए-बाज़ार"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "सर-ए-बाज़ार"
ग़ज़ल
रहज़नी है सर-ए-बाज़ार तुम्हें क्या मालूम
तुम तो हो क़ाफ़िला-सालार तुम्हें क्या मालूम
अज़मत भोपाली
ग़ज़ल
अपने अशआर को रुस्वा सर-ए-बाज़ार करूँ
कैसे मुमकिन है कि मैं मिदहत-ए-दरबार करूँ
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
ग़ज़ल
सर-ए-बाज़ार हम ने भी तमाशा क्या नहीं देखा
भरे संसार में हम ने कोई तुम सा नहीं देखा