आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "सर-ए-हस्ती"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "सर-ए-हस्ती"
ग़ज़ल
राह-ए-वफ़ा में फूल नहीं हैं ख़ार बहुत हैं 'हस्ती' जी
प्यार का दुश्मन सारा ज़माना पहले भी था आज भी है
हस्तीमल हस्ती
ग़ज़ल
तू भी हरे दरीचे वाली आ जा बर-सर-ए-बाम है चाँद
हर कोई जग में ख़ुद सा ढूँडे तुझ बिन बसे आराम है चाँद
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
झुक गया सर अर्ज़-ए-मतलब पर बरा-ए-इख़्तिसार
हम ने चाहा था कि अफ़्साना-दर-अफ़्साना कहें
कँवल एम ए
ग़ज़ल
सफ़र करना है और अंधा मुसाफ़िर सोचता है किस से पूछे
सर-ए-हस्ती अंधेरे रास्तों का गोश्वारा किस जगह है
यासमीन हमीद
ग़ज़ल
हालत-ए-क़ल्ब सर-ए-बज़्म बताऊँ क्यूँकर
पर्दा-ए-दिल में है इक पर्दा-नशीं का लालच
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
किसी दिन मुझ को ले डूबेगा हिज्र-ए-यार का सदमा
चराग़-ए-हस्ती-ए-मौहूम होगा गुल समुंदर में