aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सर-कशी"
तेरे आगे सर-कशी दिखलाउँगा?तू तो जो कह दे वही बन जाऊँगा
मुझ को मजबूर-ए-सर-कशी कहिएआप अँधेरे को रौशनी कहिए
सर-कशी वुसअ'त-ओ-पहनाई तकक़ुर्बतें सिर्फ़ पज़ीराई तक
फ़िरऔन-ए-वक़्त कोई भी हो सर-कशी करोयारान-ए-शहर मेरी तरह ज़िंदगी करो
सर-कशी जब भी कलम-कार में आ जाती हैइक मुसीबत लिए सरकार में आ जाती है
सर-कशी को जब हम ने हम-रिकाब रखना हैटूटने बिखरने का क्या हिसाब रखना है
छुपी हुई कहीं सज्दों में सर-कशी तो नहींये मेरी रस्म-ए-इबादत भी बंदगी तो नहीं
ख़ुदा शनासों की पहचान ही कोई न रहीकि सर-कशी भी ब-अंदाज़-ए-सर-कशी न रही
वक़्त से लड़ता हुआ तक़दीर से उलझा हुआमैं नहीं हूँ सर-कशी है सर-कशी की बात कर
सर-कशी का सबब है हवसबंदगी का सबब इश्क़ है
पत्थरों से मोआ'मला ठहरासर-कशी क्यूँ न इख़्तियार करें?
निकलेंगे सर-कशी के पौदेतारीकी जुर्म बो रही है
हवा को बहुत सर-कशी का नशा हैमगर ये न भूले दिया भी दिया है
करते रहो हरीफ़ों से एलान-ए-सर-कशीलेकिन मिलो तो उन की इताअत किया करो
अपने मौसम में कैसा होता हैनौनिहालों को सर-कशी का इश्क़
आज ईंटों की सर-कशी के लिएपत्थरों का जवाब है यारो
सर झुकाता नहीं कभी शीशाहम से करता है सर-कशी शीशा
अपने ग़ुबार में भी है वो ज़ौक़-ए-सर-कशीपामाल हौके अर्श पे चलते रहे हैं हम
सर-कशी आतिश-मिज़ाजी है सबबनासेहों को गर्मी-ए-बाज़ार का
होश है तुझ को ख़ाक के पुतलेये तमर्रुद ये सर-कशी कैसी
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