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ग़ज़ल
मस्त नज़रों से अल्लाह बचाए मह-जमालों से अल्लह बचाए
हर बला सर पे आ जाए मेरी हुस्न वालों से अल्लह बचाए
अज्ञात
ग़ज़ल
ख़ूब ख़बर लेते हैं मेरी ख़ैर से ये अग़्यार बहुत
दोस्त को बद-ज़न करने वाले अल्लह रक्खे यार बहुत
नजीबा बादी
ग़ज़ल
यूँ तरन्नुम-रेज़ है हर पर्दा दिल के साज़ का
हर-नफ़स पर मुझ को धोका है तिरी आवाज़ का