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ग़ज़ल
बदल जाते हैं दिल हालात जब करवट बदलते हैं
मोहब्बत के तसव्वुर भी नए साँचों में ढलते हैं
जमील मज़हरी
ग़ज़ल
अस्ल हालत का बयाँ ज़ाहिर के साँचों में नहीं
बात जो दिल में है मेरे मेरे लफ़्ज़ों में नहीं
आफ़ताब हुसैन
ग़ज़ल
हक़ाएक़ उन से टकरा कर नए साँचों में ढलते हैं
बड़े ही सख़्त-जाँ होते हैं जो ख़्वाबों पे पलते हैं
आल-ए-अहमद सुरूर
ग़ज़ल
जोश मलीहाबादी
ग़ज़ल
जमाल-ए-ज़ात-ए-वाहिद की कई साँचों में ढल ढल के
बुतों तक बात पहुँची है तो उन की बंदगी लाज़िम