आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "साइल"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "साइल"
ग़ज़ल
मिसाल-ए-गंज-ए-क़ारूँ अहल-ए-हाजत से नहीं छुपता
जो होता है सख़ी ख़ुद ढूँड कर साइल से मिलता है
दाग़ देहलवी
ग़ज़ल
वहाँ कितनों को तख़्त ओ ताज का अरमाँ है क्या कहिए
जहाँ साइल को अक्सर कासा-ए-साइल नहीं मिलता
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
झिड़कते हो मुझे क्यूँ दूर ही से पास आने दो
बढ़ा कर हाथ दिल देता हूँ तुम समझे हो साइल है