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ग़ज़ल
राहिल हूँ मुसलमान ब-साद-नारा-ए-तकबीर
ये क़ाफ़िला ये बाँग-ए-दरा मेरे लिए है
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
कुछ भी तो ज़िंदगी में 'साद' नहीं बदला तिरी
सुब्ह जो होता है होता है वही शाम के बा'द
सिद्धार्थ सैनी साद
ग़ज़ल
वही हिज्र रात की बात है वही चाँद-तारों का साथ है
जो फ़िराक़ से हुआ आश्ना उसे आरज़ू-ए-विसाल क्या
सादुल्लाह शाह
ग़ज़ल
सीन ख़ाली है बड़ी शीन पे हैं नुक़्ता तीन
साद और ज़ाद में बस फ़र्क़ है इक नुक़्ते से
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
तक़ाज़ा वक़्त का ये है न पीछे मुड़ के देखें हम
सो हम को वक़्त के इस फ़ैसले पर साद करना है
हुमैरा राहत
ग़ज़ल
कभी बारिश कभी गर्मी कभी सर्दी ज़रूरी है
किसी को 'साद' मौसम एक से अच्छे नहीं लगते
अरशद साद रुदौलवी
ग़ज़ल
'साद' डरता हूँ अगर मैं तो बस इक ख़्वाहिश से
वो जो कर दे न बरहना तुझे मख़मल के लिए
सादुल्लाह शाह
ग़ज़ल
चश्म-ए-मख़मूर वो है काबिल-ए-ग़र्क़-ए-मय-ए-नाब
दफ़्तर-ए-इश्क़ पे जब तक कि मिरे साद नहीं