आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "सिलाई"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "सिलाई"
ग़ज़ल
चाक-ए-दामन को मिरे चूम के ये उस ने कहा
चाक-ए-दामन की सिलाई तो नहीं हो सकती
फ़ैज़ान जाफ़री अल-ख़्वारिज़्मी
ग़ज़ल
और तो मुझ को मिला क्या मिरी मेहनत का सिला
चंद सिक्के हैं मिरे हाथ में छालों की तरह
जाँ निसार अख़्तर
ग़ज़ल
गुफ़्तुगू तू ने सिखाई है कि मैं गूँगा था
अब मैं बोलूँगा तो बातों में असर भी देना
मेराज फ़ैज़ाबादी
ग़ज़ल
हमें अपने घर से चले हुए सर-ए-राह उम्र गुज़र गई
कोई जुस्तुजू का सिला मिला न सफ़र का हक़ ही अदा हुआ
इक़बाल अज़ीम
ग़ज़ल
सितम पे ख़ुश कभी लुत्फ़-ओ-करम से रंजीदा
सिखाईं तुम ने हमें कज-अदाइयाँ क्या क्या