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ग़ज़ल
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है
जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे ग़ुरूर आ जाता है
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
न हवस मुझे मय-ए-नाब की न तलब सबा-ओ-सहाब की
तिरी चश्म-ए-नाज़ की ख़ैर हो मुझे बे-पिए ही सुरूर है