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ग़ज़ल
हुए मुंक़ता' सभी राब्ते कहीं गुम हुए सभी रास्ते
न सफ़र का कोई मआल है ये अजीब सूरत-ए-हाल है
ज़किया ग़ज़ल
ग़ज़ल
सूरत-ए-हाल अब तो वो नक़्श-ए-ख़याली हो गया
जो मक़ाम मा-सिवा था दिल में ख़ाली हो गया