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ग़ज़ल
शिकायत कुछ नहीं मुझ को सभी ख़ुशियाँ तुम्हारी हैं
मिरे हिस्से के सारे दर्द मुझ को सौंपना अच्छा
ज़ाकिर हुसैन हलसंगी
ग़ज़ल
उस ने सारी दुनिया माँगी मैं ने उस को माँगा है
उस के सपने एक तरफ़ हैं मेरा सपना एक तरफ़
वरुन आनन्द
ग़ज़ल
हम कहते हैं ये जग अपना है तुम कहते हो झूटा सपना है
हम जन्म बिता कर जाएँगे तुम जन्म गँवा कर जाओगे
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
क़यामत है कि होवे मुद्दई का हम-सफ़र 'ग़ालिब'
वो काफ़िर जो ख़ुदा को भी न सौंपा जाए है मुझ से
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
शुक्र करो तुम इस बस्ती में भी स्कूल खुला वर्ना
मर जाने के बा'द किसी का सपना पूरा होता था
अज़हर फ़राग़
ग़ज़ल
दिन में हँस कर मिलने वाले चेहरे साफ़ बताते हैं
एक भयानक सपना मुझ को सारी रात डराएगा