aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "हम-सफ़र"
अब कौन ये समझेगा 'सफ़र' बर-सर-ए-मक़्तलहम लर्ज़ा-बर-अंदाम हैं या झूम रहे हैं
वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थीकि धूप छाँव का आलम रहा जुदाई न थी
मैं बनाता तुझे हम-सफ़र ज़िंदगीकाश आती कभी मेरे घर ज़िंदगी
न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगाहमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा
कोई भी हम-सफ़र नहीं होतादर्द क्यूँ रात भर नहीं होता
उलझी अक़ीदतों के बयानात हम-सफ़रजिस राह भी गए ये ख़राबात हम-सफ़र
हम वक़्त के हम-सफ़र ही ठहरेकब तक कोई अपने घर ही ठहरे
ख़्वाब का हम-सफ़र रहा हूँ मैंमुद्दतों दर-ब-दर रहा हूँ मैं
हम-सफ़र रातों के साए हो गएचाँद तारे रास्तों में सो गए
तू नहीं जब से हम-सफ़र मेरारहगुज़र है न है शजर मेरा
रहज़न नहीं हरीफ़ नहीं हम-सफ़र नहींराह-ए-तलब में अहल-ए-हवस का गुज़र नहीं
वो मिरा क्यों न हम-सफ़र निकलाख़्वाब और इतना मुख़्तसर निकला
जो मिल जाए इक हम-सफ़र ख़ूबसूरततो हो जाए अपना सफ़र ख़ूबसूरत
हम-सफ़र हो तो एक काम करोगुफ़्तुगू के बिना कलाम करो
ये ख़्वाब जो हम-सफ़र हैं मेरेक़ातिल हैं कि चारागर हैं मेरे
सूरज के हम-सफ़र हैं हमारी उमंग येऔर सामने हमारे है काली सुरंग ये
हमारे हिस्सा में कुछ ऐसे हम-सफ़र आएहमें पता है कि हम कैसे अपने घर आए
राहबर सो गए हम-सफ़र सो गएकौन जागेगा हम भी अगर सो गए
सफ़र बदलता रहा हम-सफ़र बदलते रहेज़रूरतों के मुताबिक़ बशर बदलते रहे
हम-सफ़र होता कोई तो बाँट लेते दूरियाँराह चलते लोग क्या समझें मिरी मजबूरियाँ
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books