आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "हस्सास"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "हस्सास"
ग़ज़ल
बहुत हस्सास होने से भी शक को राह मिलती है
कहीं अच्छा तो लगता है बुरा ऐसा भी होता है
ज़फ़र गोरखपुरी
ग़ज़ल
दिल हो हस्सास तो जीने में बहुत घाटा है
मैं ने ख़ुद अपने ही ज़ख़्मों का लहू चाटा है