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ग़ज़ल
इश्क़ ने सौंपा है मुझ को इक सहरा की ता'मीर का काम
और हिदायत की है ज़र्रा भर वीरानी कम न पड़े
फ़रहत एहसास
ग़ज़ल
आसी ग़ाज़ीपुरी
ग़ज़ल
सज़ा-वार-ए-ख़िताब-ए-ख़िज़्र वो इंसाँ है दुनिया में
कि रह-गुम-कर्दा की जिस से हिदायत हो हिदायत हो
श्याम सुंदर लाल बर्क़
ग़ज़ल
मैं तुम्हारे इश्क़ में काफ़िर से मोमिन बन गया
मेरी नज़रों में हिदायत की किरन तुम ही तो हो
मोहम्मद शफ़ी सीतापूरी
ग़ज़ल
ज़बाँ-बंदी तो पहले थी ब-हुक्म-ए-साहिब-ए-आलम
निगाहों को भी अब ख़ामोश रहने की हिदायत है
ख़्वाजा रब्बानी
ग़ज़ल
नहीं कुछ समझ में आता ये 'अजीब माजरा है
कि ज़मीं के रहने वालों को हिदायत आसमाँ से