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ग़ज़ल
जो हीरों के रूप में दर दर अपने आँसू बाँट रहे हैं
उन फ़न-कारों पर फेंकेंगे कब तक दुनिया वाले पत्थर
प्रेम वारबर्टनी
ग़ज़ल
कटे हुए खेतों की मुंडेरों पर अब्रक की ज़ंगारी
थकी हुई मिट्टी के सहारे ढेर लगा है हीरों का
ज़ेब ग़ौरी
ग़ज़ल
सुनता है कामनटरी हीरो रेडियो रख कर कानों पर
बॉलिंग बैटिंग चौव्वा छक्का ये मालूम न वो मालूम
पागल आदिलाबादी
ग़ज़ल
उन से पूछा मैं ने जब तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ का सबब
वो मुझे हीरों जड़े कंगन दिखा कर रो पड़े
इल्यास राहत
ग़ज़ल
दिल-ए-याक़ूत है तुझ लाल-ए-लब के रश्क से पुर-ख़ूँ
तिरे दंदाँ के आगे घट गया है मोल हीरों का
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
ग़ज़ल
जैसे हीरों का मीनारा चमके घोर अँधेरे में
दीवाली के दीप जले हैं चोली और दामन के बीच
अहसन अहमद अश्क
ग़ज़ल
ज़ख़्म अब दिल के चमक देते हैं हीरों की तरह
हम तिरे शहर में रहते हैं अमीरों की तरह