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ग़ज़ल
ख़बर लियाया है हुदहुद मेरे तईं उस यार-ए-जानी का
ख़ुशी का वक़्त है ज़ाहिर करूँ राज़-ए-निहानी का
क़ुली क़ुतुब शाह
ग़ज़ल
क्यूँ कबूतर के एवज़ हुदहुद न लाया ख़त्त-ए-शौक़
इस ख़ता पर मुझ से वो बिल्क़ीस-ए-सानी फिर गया
तअशशुक़ लखनवी
ग़ज़ल
हुदूद-ए-वक़्त से बाहर अजब हिसार में हूँ
मैं एक लम्हा हूँ सदियों के इंतिज़ार में हूँ
आदिल मंसूरी
ग़ज़ल
अजीब मंज़र है बारिशों का मकान पानी में बह रहा है
फ़लक ज़मीं की हुदूद में है निशान पानी में बह रहा है