आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".ehha"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ".ehha"
ग़ज़ल
हुई इस दौर में मंसूब मुझ से बादा-आशामी
फिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जाम-ए-जम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ये बूढ़े गो कि अपने मुँह से शैख़ी में नहीं कहते
भरा है आह पर इन सब के दिल में ग़म जवानी का
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
मुझे इस झमक से आया नज़र इक निगार-ए-रा'ना
कि ख़ुर उस के हुस्न-ए-रुख़ को लगा तकने ज़र्रा-आसा
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
ये सब कहने की बातें हैं कि रोना कमज़ोरी है
रो कर देख ले आ-हा-हा क्या लुत्फ़ आता है रोने दे
विश्वदीप ज़ीस्त
ग़ज़ल
अक्स लेने में उठा देते हैं मुझ को कि नहीं
मेरी तस्वीर भी खिंच जाए न तस्वीर के साथ