आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".ftve"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ".ftve"
ग़ज़ल
नए मंसूर हैं सदियों पुराने शेख़-ओ-क़ाज़ी हैं
न फ़तवे कुफ़्र के बदले न उज़्र-ए-दार ही बदला
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
रोज़-ओ-शब अपने लिए हैं क़त्ल के फ़तवे 'क़तील'
मुफ़्ती-ए-शहर इस क़दर दीं-दार पहले तो न था
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
जहान-ए-नौ जिसे महबूब की आँखों का हासिल हो
फ़क़ीह-ए-इश्क़ के फ़तवे की रू से वो सिकंदर है
शहज़ाद क़ैस
ग़ज़ल
जो मौलवी हैं वो लिक्खेंगे कुफ़्र के फ़तवे
सुनाऊँ सूरत-ए-मंसूर अगर तराना-ए-इश्क़
अहमद हुसैन माइल
ग़ज़ल
कहीं हैं कुफ़्र के फ़तवे कहीं शोर-ए-मलामत है
ख़ुदा जब लोग बन जाएँ जज़ाएँ छीन लेते हैं
हुमैरा गुल तिश्ना
ग़ज़ल
दिए जाएँगे कब तक शैख़-साहिब कुफ़्र के फ़तवे
रहेंगी उन के संदूक़चा में दीं की कुंजियाँ कब तक