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ग़ज़ल
जिस्म तो मिट्टी में मिलता है यहीं मरने के बाद
उस को क्या रोएँ जो मरता ही नहीं मरने के बाद
गणेश बिहारी तर्ज़
ग़ज़ल
गणेश बिहारी तर्ज़
ग़ज़ल
कितने जुमले हैं कि जो रू-पोश हैं यारों के बीच
हम भी मुजरिम की तरह ख़ामोश हैं यारों के बीच
गणेश बिहारी तर्ज़
ग़ज़ल
सामने आँखों के घर का घर बने और टूट जाए
क्या करे वो जिस का दिल पत्थर बने और टूट जाए
गणेश बिहारी तर्ज़
ग़ज़ल
साँसों की जल-तरंग पर नग़्मा-ए-इश्क़ गाए जा
ऐ मिरी जान-ए-आरज़ू तू यूँही मुस्कुराए जा
गणेश बिहारी तर्ज़
ग़ज़ल
अगर वो झूट भी बोले तो हम सच मान लेते हैं
नक़ाबों में छुपे चेहरों को हम पहचान लेते हैं
गणेश गायकवाड़ आगाज
ग़ज़ल
बुझी बुझी सी नज़र में क़रार किस का है
हमें बता दो तुम्हें इंतिज़ार किस का है
गणेश गायकवाड़ आगाज
ग़ज़ल
क्या हम ने ये निकाली तर्ज़-ए-ग़ज़ल निराली
कुछ गुल-फ़िशानियाँ हैं कुछ ख़ूँ-फ़िशानियाँ हैं
सरदार गंडा सिंह मशरिक़ी
ग़ज़ल
मैला तन तो धोया जाए मैले मन को धोए कौन
हँसता है जो सब के दुख में उस के दुख में रोए कौन