आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".iaza"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ".iaza"
ग़ज़ल
उन्हें मंज़ूर अपने ज़ख़्मियों का देख आना था
उठे थे सैर-ए-गुल को देखना शोख़ी बहाने की
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मेरे उज़्र-ए-जुर्म पर मुतलक़ न कीजे इल्तिफ़ात
बल्कि पहले से भी बढ़ कर कज-अदा हो जाइए