आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".jaug"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ".jaug"
ग़ज़ल
यूँही तो नहीं दश्त में पहुँचे यूँही तो नहीं जोग लिया
बस्ती बस्ती काँटे देखे जंगल जंगल फूल मियाँ
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
यूँ तो हम ने आप की ख़ातिर होश गँवाए जोग लिया
लेकिन अब हम को समझाना आप के बस की बात नहीं
अख़्तर आज़ाद
ग़ज़ल
जंगल जंगल जोग में तेरे फिरते हैं इक रोग लिए
तिरे मिलन की आस जगी है दश्त का रस्ता भूल गया