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ग़ज़ल
बेदार भोपाली
ग़ज़ल
मश्क़-ए-सितम-ओ-जोर का चौरंग हूँ इस से
आशिक़ कोई मुझ सा उन्हें बे-दिल नहीं मिलता
किशन कुमार वक़ार
ग़ज़ल
जो सितम है उन की फ़ितरत तो है सब्र अपनी आदत
दिया जोर-ओ-ज़ुल्म उन को हमें हौसला ख़ुदा ने
फ़हीम जोगापुरी
ग़ज़ल
न ग़म बदले न हम बदले न जोर-ए-आसमां बदला
तो फिर कैसे यक़ीं आए निज़ाम-ए-गुलसिताँ बदला
रज़ी बदायुनी
ग़ज़ल
है जोर-ए-सय्याद ही का सदक़ा चमन की हंगामा-आफ़रीनी
तबाहियाँ जिस जगह पे होंगी वहीं कहीं ज़िंदगी मिलेगी
सिराज लखनवी
ग़ज़ल
ज़मीं तक ही नहीं चर्चा तिरा अब आसमाँ तक है
कभी तो सोच दिल में जोर की शोहरत कहाँ तक है